Site icon Modern Patrakaar

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का त्रि-भाषा फॉर्मूला क्या है और यह कैसे काम करता है?

unnamed

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का त्रि-भाषा फॉर्मूला क्या है और यह कैसे काम करता है?


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का त्रि-भाषा फॉर्मूला क्या है और यह कैसे काम करता है?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का त्रि-भाषा फॉर्मूला भारत में शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य छात्रों को बहुभाषी बनाना और उन्हें देश की भाषाई विविधता से जोड़ना है। यह फॉर्मूला दशकों पुराना है, लेकिन NEP 2020 ने इसे नए सिरे से लागू करने पर जोर दिया है।

त्रि-भाषा फॉर्मूला क्या है?

त्रि-भाषा फॉर्मूला का अर्थ है कि छात्रों को स्कूल में तीन भाषाओं का अध्ययन करना होगा। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को कम से कम तीन भाषाओं में सक्षम बनाना है, जिनमें से दो भारतीय भाषाएं होनी चाहिए।

यह फॉर्मूला आमतौर पर इस तरह काम करता है:

  1. पहली भाषा: यह आमतौर पर मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा होती है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में मराठी भाषी छात्रों के लिए मराठी। NEP 2020 इस बात पर विशेष जोर देती है कि प्राथमिक शिक्षा (कम से कम कक्षा 5 तक, लेकिन अधिमानतः कक्षा 8 और उससे आगे तक) जहां तक संभव हो, घर की भाषा/मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा में ही हो।
  2. दूसरी भाषा:
    • हिंदी भाषी राज्यों में, यह कोई अन्य आधुनिक भारतीय भाषा (जो हिंदी न हो) या अंग्रेजी हो सकती है।
    • गैर-हिंदी भाषी राज्यों में, यह हिंदी या अंग्रेजी हो सकती है।
  3. तीसरी भाषा:
    • हिंदी भाषी राज्यों में, यह कोई अन्य आधुनिक भारतीय भाषा (जो हिंदी न हो, और दूसरी भाषा भी न हो) या अंग्रेजी हो सकती है।
    • गैर-हिंदी भाषी राज्यों में, यह एक आधुनिक भारतीय भाषा (जो हिंदी न हो) या अंग्रेजी हो सकती है।

NEP 2020 और त्रि-भाषा फॉर्मूला में बदलाव/जोर:

लचीलापन: NEP 2020 इस फॉर्मूले में अधिक लचीलेपन पर जोर देती है। यह राज्यों को अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं और भाषाई परिदृश्य के आधार पर भाषाओं के चयन में अधिक स्वायत्तता देती है।

भारतीय भाषाओं को बढ़ावा: नीति भारतीय भाषाओं के अध्ययन और संरक्षण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। यह छात्रों को भारत की समृद्ध भाषाई विरासत से जोड़ने का लक्ष्य रखती है।

कोई भाषा थोपना नहीं: NEP 2020 स्पष्ट रूप से कहती है कि कोई भी भाषा किसी पर थोपी नहीं जाएगी। चुनाव छात्रों और राज्यों पर छोड़ दिया गया है। यह वह बिंदु है जिस पर महाराष्ट्र सरकार जोर दे रही है कि उन्होंने हिंदी को थोपा नहीं है, बल्कि एक विकल्प के रूप में पेश किया है।

विज्ञान और गणित के लिए भाषा: NEP 2020 यह भी सुझाव देती है कि जहां संभव हो, विज्ञान और गणित सहित सभी विषयों को स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाए, खासकर प्रारंभिक वर्षों में।

महाराष्ट्र में चल रहे विवाद का मूल बिंदु यही है कि क्या हिंदी को वास्तव में एक विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है, या सरकारी नीतियों और दिशानिर्देशों में ऐसी अस्पष्टता है जो इसे अप्रत्यक्ष रूप से अनिवार्य कर सकती है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: अन्य प्रमुख पहलें और बदलाव आगे पढ़ें….

Exit mobile version