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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: अन्य प्रमुख पहलें और बदलाव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: अन्य प्रमुख पहलें और बदलाव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: अन्य प्रमुख पहलें और बदलाव


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: अन्य प्रमुख पहलें और बदलाव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 सिर्फ भाषाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक व्यापक बदलाव लाने का लक्ष्य रखती है। यहाँ कुछ अन्य प्रमुख पहलू और बदलाव दिए गए हैं जो नीति का हिस्सा हैं:

1. स्कूल शिक्षा का नया ढाँचा (5+3+3+4)

NEP 2020 ने स्कूल शिक्षा के मौजूदा 10+2 ढांचे को बदलकर एक नया 5+3+3+4 ढाँचा पेश किया है। यह ढाँचा आयु-आधारित है और बच्चों के संज्ञानात्मक विकास के चरणों को ध्यान में रखता है:

  • फाउंडेशनल स्टेज (5 साल): इसमें 3 साल का प्री-स्कूल/आंगनवाड़ी और कक्षा 1 व 2 शामिल हैं। यह चरण खेल-आधारित शिक्षा और लचीलेपन पर केंद्रित है।
  • प्रिपरेटरी स्टेज (3 साल): इसमें कक्षा 3, 4 और 5 शामिल हैं। यह प्रायोगिक शिक्षण (experiential learning) पर जोर देता है।
  • मिडिल स्टेज (3 साल): इसमें कक्षा 6, 7 और 8 शामिल हैं। इस चरण में विषयों का अधिक औपचारिक रूप से परिचय कराया जाता है, जिसमें विज्ञान, गणित, कला, सामाजिक विज्ञान और मानविकी शामिल हैं। व्यावसायिक शिक्षा (vocational education) को भी इस चरण से ही एकीकृत किया जाएगा।
  • सेकेंडरी स्टेज (4 साल): इसमें कक्षा 9, 10, 11 और 12 शामिल हैं। यह चरण विषयों के बीच अधिक लचीलापन प्रदान करता है, जिससे छात्र अपनी रुचि के अनुसार विषय चुन सकते हैं (कोई कठोर स्ट्रीम अलगाव नहीं)। इसमें गहन वैचारिक समझ और महत्वपूर्ण सोच पर जोर दिया जाएगा।

2. समग्र और बहु-विषयक शिक्षा

 

  • पाठ्यक्रम में लचीलापन: छात्रों को कठोर स्ट्रीम (जैसे विज्ञान, कला, वाणिज्य) से बाहर निकलने की अनुमति दी जाएगी। वे अपनी रुचि के अनुसार विषयों का संयोजन चुन सकेंगे, जैसे कला के साथ विज्ञान, या संगीत के साथ गणित।
  • व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण: कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा में एकीकृत किया जाएगा, जिसमें इंटर्नशिप का प्रावधान भी होगा। इसका उद्देश्य छात्रों को व्यावहारिक कौशल से लैस करना है।
  • कौशल विकास पर जोर: रटने की बजाय समझ, विश्लेषण और आलोचनात्मक सोच जैसे 21वीं सदी के कौशल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

3. मूल्यांकन प्रणाली में सुधार

 

  • समग्र प्रगति कार्ड (Holistic Progress Card): रटे हुए ज्ञान के बजाय छात्रों की प्रगति को ट्रैक करने के लिए एक 360-डिग्री समग्र प्रगति कार्ड पेश किया जाएगा। इसमें न केवल शैक्षणिक प्रदर्शन, बल्कि कौशल, रुचि, सामाजिक-भावनात्मक विकास और महत्वपूर्ण सोच भी शामिल होगी।
  • बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव: बोर्ड परीक्षाओं को ‘उच्च दांव’ वाली और ‘कोचिंग-आधारित’ प्रणाली से हटाकर अधिक लचीला बनाया जाएगा। इन्हें साल में दो बार देने का विकल्प, ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव घटकों के साथ, या आवश्यकतानुसार विभिन्न मॉड्यूलों में देने पर विचार किया जा रहा है।
  • एप्टीट्यूड और एसेसमेंट: रचनात्मक मूल्यांकन (formative assessment) पर अधिक जोर दिया जाएगा, जो सीखने की प्रक्रिया के दौरान छात्रों की समझ का आकलन करेगा।

4. शिक्षकों और प्रौद्योगिकी पर ध्यान

 

  • शिक्षक शिक्षा: शिक्षकों की भर्ती, प्रशिक्षण और उनके निरंतर व्यावसायिक विकास (Continuous Professional Development – CPD) पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। 2030 तक, शिक्षकों के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. (B.Ed.) डिग्री होगी।
  • डिजिटल शिक्षा: ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाया जाएगा, खासकर महामारी जैसी स्थितियों में। ‘स्वयं’ (SWAYAM) और ‘दीक्षा’ (DIKSHA) जैसे प्लेटफॉर्म का विस्तार किया जाएगा।

 

5. उच्च शिक्षा में बदलाव

बहु-विषयक उच्च शिक्षा संस्थान: एकल-विषयक संस्थानों को बहु-विषयक विश्वविद्यालयों में बदला जाएगा, जो कला, विज्ञान, वाणिज्य आदि सहित विभिन्न विषयों की पेशकश करेंगे।

  • लचीली निकास विकल्प: छात्रों को विभिन्न स्तरों पर कोर्स छोड़ने और वापस आने की सुविधा मिलेगी (जैसे 1 साल बाद सर्टिफिकेट, 2 साल बाद डिप्लोमा, 3 साल बाद बैचलर डिग्री और 4 साल बाद रिसर्च के साथ बैचलर)।
  • उच्च शिक्षा आयोग (HECI): उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक निकाय का गठन किया जाएगा, जिससे अलग-अलग नियामक निकायों की जटिलता समाप्त होगी।

NEP 2020 का लक्ष्य भारतीय शिक्षा को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाना और छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है।

 

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