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SEBI ने बाजार में खेल पलट दिया! NSE और BSE की चाल में क्या छिपा है?

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क्या शेयर बाजार की चाल अब दो तरफा हो गई है? जानिए SEBI के इस बड़े फैसले के पीछे का गेम!

भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ा बदलाव आया है, जिसने ट्रेडर्स और निवेशकों के बीच हलचल मचा दी है। SEBI ने हाल ही में NSE और BSE को अलग-अलग एक्सपायरी दिन तय करने की मंजूरी दे दी है। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह सिर्फ एक टेक्निकल बदलाव है या इसके पीछे कोई बड़ा खेल छिपा है?

                                                                               


📌 क्या हुआ है बदलाव में?

🔹 NSE (National Stock Exchange): अब साप्ताहिक ऑप्शन्स की एक्सपायरी मंगलवार को होगी।
🔹 BSE (Bombay Stock Exchange): एक्सपायरी का दिन गुरुवार रहेगा।

पहले केवल गुरुवार को ही एक्सपायरी होती थी, लेकिन अब ट्रेडर्स को हफ्ते में दो दिन ऐसे मिलेंगे जब बाजार की तेज़ चाल देखने को मिलेगी।


🕵️ SEBI ने क्यों लिया ये फैसला?

SEBI का दावा है कि इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निवेशकों को बेहतर विकल्प मिलेंगे। लेकिन असल बात ये है कि…

👉 NSE और BSE के बीच ट्रेडिंग वॉल्यूम को लेकर एक अनदेखी जंग चल रही है।
👉 NSE का वर्चस्व अब तक सबसे ज़्यादा रहा है, लेकिन BSE लगातार पकड़ मज़बूत कर रहा है।
👉 अलग-अलग एक्सपायरी डे का मतलब है – दोनों को अपने-अपने दिन में मैक्सिमम वॉल्यूम खींचने का मौका मिलेगा।

                                               


💼 ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के लिए क्या बदलेगा?

  1. 🔁 दो बार मुनाफा कमाने का मौका: अब वीक में दो दिन एक्सपायरी-डे ट्रेडिंग होगी – ज्यादा मौके, ज्यादा चाल।

  2. 🧠 बेहतर हेजिंग और रणनीति: अब रणनीतियाँ भी दिन के हिसाब से बदलेगी – गेम और रोमांच दोनों बढ़ेंगे।

  3. ⚖️ कंपीटिशन से मिलेगा फायदा: एक्सचेंज्स के बीच की प्रतिस्पर्धा निवेशकों को बेहतरीन सर्विस और लिक्विडिटी दे सकती है।

 

 

📈 1. NSE और BSE में वॉल्यूम वॉर (Volume War):


🔍 क्या यह बदलाव सच में खेल पलट सकता है?

बिलकुल! अगर BSE इस गुरुवार एक्सपायरी को मार्केटिंग और सिस्टम से सही तरीके से प्रमोट करता है, तो वो NSE के मुकाबले वॉल्यूम में बड़ी छलांग मार सकता है।

लेकिन NSE भी किसी से कम नहीं। वो पहले से ही Bank Nifty और Fin Nifty जैसे प्रोडक्ट्स को अलग एक्सपायरी डे पर लाकर टेस्ट कर चुका है।


🧠 निष्कर्ष:

SEBI के इस फैसले ने शेयर बाजार के “गेम-प्लान” को पूरी तरह से बदल दिया है। अब ट्रेडिंग सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि टाइमिंग का भी खेल बन गया है। NSE और BSE के बीच की ये नई चाल आपको फायदा भी पहुंचा सकती है… बस आपको वक्त पर चाल समझनी होगी।

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