
सरकार तक पहुँची छात्रों की आवाज़, SSC में सुधार की उम्मीद जगाई संसद ने
समाचार की तारीख: 31 जुलाई – 1 अगस्त 2025
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- Thousands of SSC aspirants और educators ने ऑनलाइन परीक्षा में technical glitches, अचानक रद्द की गई परीक्षा और परीक्षा केंद्रों पर अनुचित व्यवहार जैसी समस्याओं के खिलाफ आवाज़ बुलंद की। उनका आरोप था कि ये सब SSC की systemic mismanagement का परिणाम है
- विरोध की रूपरेखा:
- सोशल मीडिया पर #SSCMisManagement हैशटैग के साथ widespread protests हुए, जिसमें students और popular शिक्षिकाएँ जैसे “Neetu Mam” शामिल रही
- सबसे बड़ी रैली हुई भारत सरकार की राजधानी दिल्ली में“Delhi Chalo” आंदोलन के तहत प्रदर्शन हुआ।प्रदर्शनकर्ता Jantar Mantar और CGO Complex में इकट्ठा हुए। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, कई छात्रों और शिक्षकों को हिरासत में लिया गया
- संसद में उठे प्रश्न:
- इन विरोधों की गूँज संसद तक पहुँची। विपक्षी दलों ने SSC की परीक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए, जबकि सरकार को जवाब देना पड़ा कि ऐसी गड़बड़ियाँ क्यों हुईं और भविष्य में सुधार कैसे होंगे।समाज में फैलती नाराजगी — प्रशासन की लापरवाही से युवा वर्ग असंतुष्ट है और उन्होंने इसका मैसेज संसद तक पहुंचाया।परliamentary scrutiny — सांसदों ने इस मुद्दे को floor पर उठाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही माँगी।सरकार की प्रतिक्रिया — शिक्षा मंत्रालय और SSC से जवाब माँगा गया कि ऐसी व्यवस्थागत खामियाँ फिर से न हों।
- क्या हुआ और कब?
- एसएससी सेलेक्शन पोस्ट फेज-13 परीक्षा 24 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक आयोजित की जा रही थी। लेकिन इस दौरान तकनीकी खराबी और प्रशासनिक खामियों का एक लंबा सिलसिला सामने आया, जिसके कारण कई अभ्यर्थियों को परीक्षा देने में काफी परेशानी हुई, केंद्रों पर सर्वर क्रैश हुआ, कंप्यूटर बंद होना, एडमिट कार्ड ब्लैंक आना, हजारों किलोमीटर दूर सेंटर भेजना, और अचानक परीक्षा रद्द करना जैसी शिकायतें लगातार आ रही थीं । इस सब की वजह से सोशल मीडिया पर #SSCMisManagement, #JusticeForAspirants और #SSCVendorFailure हैशटैग वायरल हो गए। विरोध प्रदर्शन की शुरुआत सोशल मीडिया से हुई और फिर आंदोलन के रूप ले लियाSSC परीक्षा में भ्रष्टाचार और तकनीकी गड़बड़ियाँ
- परीक्षा केंद्रों का बदला जाना भी एक बड़ी समस्या थी—कई उम्मीदवारों को 500 किमी से अधिक दूर के केंद्र भेजा गया लेकिन परीक्षा रद्द कर दी गई या समय पर सूचना नहीं दी गईपरीक्षा का ठेका Eduquity Career Technologies नामक बेंगलुरू स्थित कंपनी को दिया गया था, जिसे पहले एमपी पटवारी समेत अन्य परीक्षाओं में तकनीकी फेलियर और पेपर लीक के आरोपों का सामना करना पड़ा था। SSC ने सस्ता विकल्प चुना, जिससे गुणवत्ता ठहराने योग्य नहीं कई परीक्षा केंद्रों पर सॉफ्टवेयर क्रैश, सिस्टम हैंग, माउस काम न करना जैसी तकनीकी समस्याएँ हुईं।कुछ छात्रों के कंप्यूटर सिस्टम अचानक लॉग आउट हो गए; एडमिट कार्ड डाउनलोड करते समय कार्ड ब्लैंक आया
- केन्द्रों पर दुर्व्यवहार और पुलिस कार्रवाई
- जिन छात्रों और शिक्षकों ने अनियमितताओं की शिकायत की, उन्हें केंद्र के कर्मचारियों या सुरक्षाकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें जंतर-मंतर पर छात्रों की पिटाई और उन्हें हिरासत में लिया गया है। CGO Complex पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों-शिक्षकों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया। कई प्रदर्शनकारियों और Neetu Ma’am जैसे शिक्षकों को हिरासत में लिया गया NSUI ने इस घटना की निंदा की और कहा कि यह युवा मतदाताओं की आवाज़ को दबाने की मोदी सरकार की कोशिश है, जबकि लाखों युवा वर्षों से मेहनत कर रहे हैं और उनका भविष्य खतरे में है
- छात्र‑शिक्षक आंदोलन का स्वरूप
- उच्च‑स्तरीय जांच आयोग – SSC mismanagement के लिए vendor और प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो।
- वेंडर परिवर्तन की समीक्षा – Eduquity जैसे विवादास्पद कंपनियों को परीक्षा संचालन नहीं सौंपा जाए।
- पुनः परीक्षा आयोजित – प्रभावित छात्रों के लिए परीक्षा के प्रति न्यायसंगत व्यवस्था।
- शिकायत निवारण तंत्र में सुधार – grievances को समय पर और पारदर्शी तरीके से सुलझाया जाए।
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निष्कर्ष: स्थिति और अगले कदम
इस आंदोलन ने छात्र-शिक्षक समुदाय की हताशा को संसद तक पहुँचा दिया। एसएससी को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अगर सुधार नहीं हुआ तो अगली बार आंदोलन और भी तेज़ होगा।सरकार को अब निर्णायक कदम उठाने होंगे:
- परीक्षा विक्रेताओं का पुनर्मूल्यांकन,शिकायत निवारण प्रणाली में सुधार,परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने वाले तकनीकी सुधार,जनता को आश्वस्त करना कि भविष्य में ऐसी अनियमितताएँ नहीं होंगी।
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