
नेहा सिंह राठौर के तीखे बोल-जहाज गिरे तो पायलट जिम्मेदार, भगदड़ मचे तो लोग जिम्मेदार...
नेहा सिंह राठौर के तीखे बोल-जहाज गिरे तो पायलट जिम्मेदार, भगदड़ मचे तो लोग जिम्मेदार…
लोक गायिका नेहा सिंह राठौर, जो अपने व्यंग्यात्मक गीतों के लिए जानी जाती हैं, ने एक बार फिर सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने हाल ही में एक ट्वीट के माध्यम से सरकारी तंत्र की जवाबदेही पर सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने विभिन्न घटनाओं का जिक्र करते हुए यह दर्शाने की कोशिश की कि सरकार अक्सर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेती है।
अपने ट्वीट में नेहा सिंह राठौर ने लिखा, “जहाज गिरे तो पायलट जिम्मेदार, भगदड़ मचे तो लोग जिम्मेदार, स्कूल का छत गिरे तो टीचर जिम्मेदार, सरकार की तो कोई जिम्मेदारी है ही नहीं और न कोई गलती है।” यह बयान एक गहरी सोच को दर्शाता है और कई ज्वलंत मुद्दों को एक साथ उठाता है। यह टिप्पणी केवल एक घटना पर आधारित नहीं है, बल्कि यह उन तमाम घटनाओं का सार है जिनमें सरकारी लापरवाही के बावजूद जिम्मेवारी का ठीकरा आम जनता, कर्मचारियों या छोटे अधिकारियों पर फोड़ दिया जाता है।
नेहा सिंह राठौर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं। चाहे वह किसी पुल का गिरना हो, कोई रेल दुर्घटना हो, या फिर किसी सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत का ढह जाना। इन सभी मामलों में अक्सर एक पैटर्न देखने को मिलता है: घटना के बाद जांच के आदेश दिए जाते हैं, कुछ छोटे-मोटे अधिकारियों को निलंबित किया जाता है, और फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।
नेहा सिंह राठौर की टिप्पणी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह एक लोक कलाकार की आवाज है जो जनता के मन की बात को अभिव्यक्त करती है। उनके गीत और बयान अक्सर उन लोगों की भावनाओं को सामने लाते हैं जो सीधे तौर पर सत्ता से सवाल पूछने में हिचकिचाते हैं। उनके व्यंग्यात्मक लहजे में एक कड़वा सच छिपा होता है, जो सरकारों को असहज करता है।
नेहा सिंह राठौर ने यह सवाल उठाकर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है कि क्या भारत में जवाबदेही की संस्कृति का अभाव है? क्या हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकारें सिर्फ नीतियां बनाने और उनका क्रियान्वयन करने तक ही सीमित हैं, या उनकी जिम्मेदारी जनता की सुरक्षा और कल्याण के प्रति भी है?
इस तरह के बयान अक्सर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाते हैं। जहां एक ओर विपक्ष इसे सरकार को घेरने का मौका मानता है, वहीं सत्ता पक्ष इसे सरकार विरोधी प्रोपेगंडा बताकर खारिज करने की कोशिश करता है। लेकिन इन सब के बीच, जनता के बीच इस तरह के बयानों की गूंज सुनाई देती है, क्योंकि वे इन समस्याओं से सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं।
नेहा सिंह राठौर के इस बयान के पीछे का उद्देश्य केवल सरकार की आलोचना करना नहीं है, बल्कि यह एक गहरी सामाजिक और राजनीतिक समस्या की ओर इशारा करता है। यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां जवाबदेही सिर्फ छोटे लोगों के लिए है, और बड़े पदों पर बैठे लोग हर तरह की जिम्मेदारी से मुक्त हैं।
यह बयान लोक गायिका की उस पहचान को और मजबूत करता है जिसमें वह एक सिर्फ मनोरंजनकर्ता नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणीकार के रूप में भी उभरी हैं। उनके गीत और बयान यह दर्शाते हैं कि कला और संगीत का उपयोग सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि समाज को जगाने और सत्ता से सवाल पूछने के लिए भी किया जा सकता है।
अंत में, नेहा सिंह राठौर का यह बयान एक छोटा ट्वीट हो सकता है, लेकिन इसका संदेश बहुत गहरा है। यह हमें याद दिलाता है कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि सरकारें अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करें और जनता के प्रति जवाबदेह हों। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक नेहा सिंह राठौर जैसी आवाजें उठती रहेंगी और सवाल पूछती रहेंगी।