“मराठी नहीं बोलोगे तो मार खाओगे” – बिहारी युवक का वायरल वीडियो, राज ठाकरे का समर्थन किया
हाल ही में एक बिहारी युवक का वीडियो सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त वायरल हो रहा है, जिसमें वह महाराष्ट्र की क्षेत्रीय भाषा ‘मराठी’ और उसकी संस्कृति को लेकर खुलकर बोलते हुए दिखाई दे रहा है। युवक का कहना है कि “अगर महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी बोलना सीखो, नहीं तो मार खाओगे।” इस बयान ने न सिर्फ राज ठाकरे की पुरानी विचारधारा को दोहराया है, बल्कि भाषा और क्षेत्रीय अस्मिता पर फिर से बहस छेड़ दी है।
राज ठाकरे के सुर में सुर:
यह युवक खुले तौर पर राज ठाकरे के रुख का समर्थन करता नजर आता है। उसने कहा – “राज ठाकरे जो कहते हैं, वो गलत नहीं हैं। महाराष्ट्र की ज़मीन पर रहकर, उसी की भाषा और संस्कृति का अनादर करना एक तरह की गद्दारी है। अगर कोई यहां आकर मराठी नहीं सीखना चाहता तो उसे मार पड़ना ही सही है।” इस बयान से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की भाषा-आधारित राजनीति को नए सिरे से हवा मिलती दिख रही है।
हिंदी भाषियों पर तीखा हमला:
वीडियो में युवक ने हिंदी भाषियों को भी जमकर लताड़ा। उसने कहा कि “आप उत्तर भारत से आते हो, लेकिन जिस ज़मीन पर रोटी खा रहे हो, वहां की भाषा को ‘बेवकूफी’ कह रहे हो, ये मानसिक गुलामी है।” उसने मराठी को ‘स्वाभिमान की भाषा’ बताया और दावा किया कि खुद उसने मराठी सीखी है क्योंकि वह इस राज्य की इज्जत करता है।
सोशल मीडिया पर दो तरह की प्रतिक्रिया:
इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
- एक वर्ग ने युवक की प्रशंसा करते हुए उसे ‘सच्चा महाराष्ट्रप्रेमी’ कहा और माना कि बाहरी लोगों को मराठी सीखनी ही चाहिए।
- वहीं, दूसरा वर्ग खासकर हिंदी भाषी समुदाय, इस बयान को ‘भड़काऊ’, ‘जातिवादी’ और ‘संविधान विरोधी’ करार दे रहा है।
कुछ लोगों ने लिखा – “क्या कोई बिहार में जाकर मैथिली ना बोले तो क्या उसे मारा जाएगा?”
दूसरों ने कहा – “यह क्षेत्रवाद नहीं, मानसिक संकीर्णता है।”
राजनीतिक गर्मी और सांस्कृतिक असंतुलन:
भाषा को लेकर महाराष्ट्र में पहले भी कई बार विवाद हुए हैं। राज ठाकरे ने पहले भी गैर-मराठी लोगों के खिलाफ सख्त बयान दिए हैं। MNS कार्यकर्ता कई बार उत्तर भारतीयों की दुकानों, टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बना चुके हैं। अब जब एक बिहारी युवक खुद मराठी की वकालत कर रहा है, तो यह मुद्दा फिर से राजनीतिक रूप से गर्मा गया है।
क्या कहता है संविधान?
भारत का संविधान हर नागरिक को कहीं भी रहने, बोलने और काम करने का अधिकार देता है। भाषाई विविधता हमारे देश की ताकत है। लेकिन जब क्षेत्रीयता कट्टरता में बदलने लगे, तो सवाल उठना लाज़मी है कि क्या स्थानीयता के नाम पर हिंसा जायज़ है?
बिहारी युवक का यह वीडियो भले ही कुछ लोगों के लिए गर्व की बात हो, लेकिन यह हमारे देश में गहराते भाषाई और क्षेत्रीय विभाजन की ओर भी इशारा करता है। ज़रूरत इस बात की है कि हम भाषा के सम्मान को जबरदस्ती या धमकी से नहीं, बल्कि आपसी समझ और संवाद से आगे बढ़ाएं।