
2016 में चेन्नई के मैदान पर एक युवा बल्लेबाज़ ने इंग्लैंड के खिलाफ 303* रन ठोककर इतिहास रच दिया।
वो खिलाड़ी था – करुण नायर।
भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लगाने वाले दूसरे बल्लेबाज़, और फिर… गायब।
लेकिन अब, करीब 6 साल बाद, करुण नायर की टेस्ट टीम में वापसी हुई है।
सवाल यही है –
“इतना बड़ा रिकॉर्ड बनाने के बाद भी ये खिलाड़ी इतने सालों तक गुमनाम क्यों रहा?”
तिहरा शतक – लेकिन लगातार नज़रअंदाज़
करुण नायर ने जब 303* रन बनाए, तो उनकी तुलना वीरेंद्र सहवाग से होने लगी।
लेकिन उस एक इनिंग के बाद उन्हें सिर्फ 6 टेस्ट मैचों में ही खेलने का मौका मिला।
कभी टीम कॉम्बिनेशन, कभी पिच का बहाना, तो कभी फॉर्म का सवाल –
पर क्या इतनी जल्दी किसी को भुला देना सही था?
6 साल बाद वापसी – वापसी नहीं, जवाब है
अब 2025 में करुण नायर को टेस्ट टीम में फिर से चुना गया है।
ये सिर्फ एक वापसी नहीं, बल्कि उन सवालों का जवाब है,
जो उन्होंने और उनके फैंस ने सालों तक अपने मन में रखे।
KL राहुल और करुण – एक शहर, दो रास्ते
करुण और KL राहुल – दोनों कर्नाटक से।
KL को टीम इंडिया में लगातार मौके और कप्तानी मिली,
जबकि करुण को उनके तिहरे शतक के बाद भी बेंच पर ही बैठना पड़ा।
क्या ये चयन नीति पर सवाल नहीं उठाता?
अब या कभी नहीं!
करुण नायर की वापसी एक “Redemption Arc” है।
अब अगर वो इस मौके को भुना सके, तो फिर से टीम इंडिया के मिडिल ऑर्डर में जगह बना सकते हैं।
नहीं तो यह शायद उनके करियर का आखिरी टेस्ट मौका हो।
निष्कर्ष:
करुण नायर की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं,
बल्कि उन हजारों टैलेंटेड युवाओं की है जिन्हें सिस्टम समय पर पहचान नहीं देता।
अब देखना है कि ये दूसरी पारी उन्हें नई पहचान दिलाती है
या फिर इतिहास में सिर्फ एक तिहरे शतक तक ही सीमित रह जाती है।
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