Jane Street को मिली SEBI से मंज़ूरी, मंगलवार से NSE और BSE पर फिर से करेगी ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजारों में हाल ही में एक बड़ी हलचल उस समय देखने को मिली जब अमेरिकी हेज फंड कंपनी Jane Street को SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने फिर से ट्रेडिंग की मंजूरी दे दी। Jane Street मंगलवार यानी 22 जुलाई 2025 से भारत के दोनों प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों – NSE और BSE – पर अपनी ट्रेडिंग गतिविधियाँ फिर से शुरू कर सकेगी। यह फैसला तब आया है जब कंपनी ने SEBI के आदेश पर ₹4,843 करोड़ से अधिक की राशि एस्क्रो खाते में जमा कर दी है। यह मामला मई-जुलाई 2025 के बीच हुए एक बड़े बाजार विवाद से जुड़ा है, जिसमें Jane Street पर भारी मात्रा में बैंक निफ्टी ऑप्शन ट्रेडिंग कर मार्केट मैनिपुलेशन करने का आरोप लगा था।
SEBI ने 3 जुलाई 2025 को Jane Street और कुछ अन्य हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग कंपनियों पर यह कहते हुए बैन लगा दिया था कि उन्होंने एक्सपायरी वाले दिनों पर खास रणनीति अपनाकर शेयर बाजार में अस्थिरता फैलाई और उससे हजारों करोड़ रुपये का फायदा उठाया। खास तौर पर 17 जनवरी 2024 की घटना में Jane Street पर आरोप था कि उसने दिन की शुरुआत में बैंकिंग शेयर खरीदकर बैंक निफ्टी को ऊपर पहुंचाया और फिर भारी मात्रा में Put ऑप्शन लेकर लाभ कमाया। अनुमान है कि इस रणनीति से Jane Street ने सिर्फ एक दिन में करीब ₹735 करोड़ कमाए।
SEBI ने इस पूरे मामले की गहन जांच शुरू की और Jane Street को निर्देश दिया कि वह ₹4,843 करोड़ की संदेहास्पद राशि एक एस्क्रो खाते में जमा करे। कंपनी ने कुछ ही हफ्तों में यह रकम जमा कर दी और SEBI से ट्रेडिंग बहाल करने की अपील की। SEBI ने शर्तों के साथ इसकी अनुमति दे दी, जिसके तहत Jane Street की गतिविधियों पर एक्सचेंजेस को कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है। हालांकि, यह मंजूरी अंतरिम (interim) है और SEBI की जांच अब भी चल रही है।
इस मंजूरी के बाद निवेशकों और बाजार विश्लेषकों की राय बंटी हुई नज़र आ रही है। कुछ लोग इसे एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं क्योंकि इससे बाजार में तरलता (liquidity) बढ़ेगी। वहीं दूसरी तरफ कई विश्लेषकों और रिटेल निवेशकों ने SEBI की इस “नरमी” पर सवाल उठाए हैं। आलोचकों का कहना है कि बिना जांच पूरी किए Jane Street को फिर से ट्रेडिंग की इजाजत देना रिटेल निवेशकों के साथ अन्याय है। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि SEBI का यह फैसला आने के बाद बाजार में derivative turnover में 36% तक की गिरावट दर्ज की गई थी और अनुमान है कि इस पूरे विवाद से रिटेल निवेशकों को ₹1.4 लाख करोड़ तक का नुकसान हुआ।
Jane Street ने SEBI पर लगे आरोपों को नकारते हुए कहा है कि उनकी रणनीति पूरी तरह कानूनी आर्बिट्राज पर आधारित थी और यह “मार्केट मैनिपुलेशन” नहीं था। कंपनी ने यह भी कहा है कि वह SEBI के आदेश को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रही है और जरूरत पड़ने पर SAT (Securities Appellate Tribunal) में अपील करेगी।
SEBI ने भी साफ किया है कि Jane Street को यह छूट पूर्ण नहीं है। फिलहाल उसे ऑप्शन ट्रेडिंग या बड़ी मात्रा में कैश मार्केट ट्रेडिंग की अनुमति नहीं दी गई है। केवल सीमित आधार पर गतिविधियाँ शुरू की जा सकती हैं और उन पर एक्सचेंज की पैनी निगरानी रहेगी। SEBI का कहना है कि यह फैसला अंतरिम है और अंतिम निष्कर्ष जांच पूरी होने के बाद ही निकाला जाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच Jane Street की वापसी से BSE Ltd. के शेयरों में 3% की तेजी देखने को मिली, जिससे बाजार ने संकेत दिया कि बड़े निवेशकों को इस वापसी से कुछ सकारात्मक उम्मीदें हैं। परंतु, इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विदेशी हाई-फ्रीक्वेंसी फर्मों को भारत में इतनी आसानी से काम करने की छूट दी जानी चाहिए, खासकर जब आरोप इतने गंभीर हों।
इस मामले से यह भी स्पष्ट होता है कि भारतीय शेयर बाजार में algorithmic trading और derivatives segment को लेकर अब और सख्त निगरानी की ज़रूरत है। यह घटना SEBI के लिए भी एक बड़ी परीक्षा है कि वह कैसे पारदर्शिता बनाए रखते हुए विदेशी निवेशकों और घरेलू रिटेल निवेशकों दोनों के हितों की रक्षा कर सके।
अब नज़र इस बात पर होगी कि आने वाले हफ्तों में SEBI की जांच क्या परिणाम देती है, Jane Street के खिलाफ आरोपों की पुष्टि होती है या नहीं और SAT या कोर्ट से इस पर क्या रुख सामने आता है। लेकिन फिलहाल के लिए, Jane Street की NSE और BSE पर वापसी भारतीय बाजारों में एक नई बहस को जन्म दे चुकी है