दुनिया का तेल नाड़ी बंद! – भारत की जेब पर पड़ेगा सबसे बड़ा असर!
Strait of Hormuz बंद करने की ईरान की मंज़ूरी ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। लेकिन इस फैसले से सबसे बड़ा झटका अगर किसी को लगने वाला है, तो वह है – भारत।
दुनिया का तेल नाड़ी बंद!” – यह वाक्यांश अक्सर होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) में तेल आपूर्ति में संभावित बाधा को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है, जो वैश्विक तेल व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण चोकपॉइंट है। यदि यह जलडमरूमध्य बंद हो जाता है, तो दुनिया भर में तेल और गैस की आपूर्ति में भारी कमी आ सकती है, जिससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ सकती हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है।
भारत पर सबसे बड़ा असर क्यों?
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और अपनी तेल जरूरतों का लगभग 85-88% आयात से पूरा करता है। इसका एक बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व से आता है, और होर्मुज जलडमरूमध्य इस आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यदि यह मार्ग बाधित होता है, तो भारत पर निम्नलिखित गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं:
- ईंधन की कीमतों में भारी वृद्धि: तेल की आपूर्ति में कमी से वैश्विक स्तर पर कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिससे भारत में पेट्रोल, डीजल और अन्य ईंधन महंगे हो जाएंगे। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा और परिवहन लागत बढ़ेगी।
- आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव: कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारत के चालू खाता घाटे (Current Account Deficit) को बढ़ा सकती हैं और रुपये की स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं। यह भारत की आर्थिक वृद्धि दर पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- औद्योगिक उत्पादन पर असर: ऊर्जा की लागत बढ़ने से उद्योगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जिससे उत्पादन लागत बढ़ेगी और अंततः उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- मुद्रास्फीति में वृद्धि: ईंधन और अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिससे लोगों की क्रय शक्ति कम होगी।
भारत की तैयारी और चुनौतियां:
हालांकि, भारत ने इस तरह के संकट से निपटने के लिए कुछ उपाय किए हैं:
- आपूर्ति स्रोतों का विविधीकरण: भारत ने रूस, अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों से तेल खरीद कर अपने ऊर्जा स्रोतों को विविधतापूर्ण बनाया है। जून 2025 में, रूस और अमेरिका से भारत का तेल आयात पारंपरिक मध्य पूर्वी आपूर्तिकर्ताओं से कुल खरीद से अधिक हो गया है।
- रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार: भारत ने आपातकालीन स्थिति में उपयोग के लिए रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार भी बनाए हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिए सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी तेजी से ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- क्या है Strait of Hormuz?
Strait of Hormuz (हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य) एक संकरा समुद्री मार्ग है, जो ईरान और ओमान के बीच स्थित है। यही रास्ता दुनिया के लगभग 20% तेल और गैस निर्यात का सबसे अहम ज़रिया है।
हर दिन औसतन 2 करोड़ बैरल कच्चा तेल इसी मार्ग से गुजरता है।
ईरान ने क्या किया?
ईरान की संसद ने एक विधेयक पारित कर Strait of Hormuz को बंद करने की मंज़ूरी दे दी है। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब ईरान और इज़राइल के बीच तनाव चरम पर है, और पश्चिमी देशों के साथ उसकी टकराव की स्थिति बनी हुई है।
भारत पर क्यों पड़ेगा सबसे बड़ा असर?
1. 80% से ज्यादा तेल आयात
भारत अपनी जरूरत का अधिकांश कच्चा तेल पश्चिम एशिया से आयात करता है – जो यहीं से होकर आता है।
2. पेट्रोल-डीजल महंगे होंगे
Strait बंद होने से सप्लाई बाधित होगी → तेल की कीमत बढ़ेगी → भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छुएंगे।
3. ट्रांसपोर्ट और वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी
तेल महंगा = ट्रांसपोर्ट महंगा = आम जनता के लिए रोज़मर्रा की चीज़ें महंगी।
4. रुपया और शेयर बाज़ार पर असर
तेल महंगा होने से रुपया कमजोर होगा और शेयर मार्केट में भी गिरावट संभव है।
ग्लोबल असर क्या होगा?
- क्रूड ऑयल की कीमत $100 प्रति बैरल से ऊपर जा सकती है।
- अमेरिका, जापान, चीन जैसे बड़े देश तेल के वैकल्पिक स्रोत खोजने लगेंगे।
- वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ जाएगी।
क्या बोले विशेषज्ञ?
“Strait of Hormuz अगर बंद होता है तो ये सिर्फ एक तेल संकट नहीं, बल्कि एक ग्लोबल इकोनॉमिक झटका है। भारत को सबसे ज्यादा तैयारी की जरूरत है।”
— डॉ. आर. वेंकट, ऊर्जा विशेषज्ञ
निष्कर्ष
Strait of Hormuz की बंदी सिर्फ एक भौगोलिक फैसला नहीं है – ये भारत की रसोई से लेकर सरकार की नीति तक को हिला सकती है। आने वाले दिनों में हमें ईंधन, किराया, खाने-पीने की चीज़ों और निवेश पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।