
हिंदुस्तानी भाऊ का MNS के खिलाफ बयान
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हिंदुस्तानी भाऊ का MNS के खिलाफ बयान: विस्तृत जानकारी
हिंदुस्तानी भाऊ ने हाल ही में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) और उसके अध्यक्ष राज ठाकरे के खिलाफ एक वीडियो के माध्यम से अपनी बात रखी। उनका मुख्य मुद्दा मराठी भाषा के नाम पर गैर-मराठी भाषी लोगों, विशेषकर हिंदुओं, पर हो रहे कथित हमले थे।
बयान के मुख्य बिंदु:
मराठी भाषा का सम्मान, पर हिंसा अस्वीकार्य: हिंदुस्तानी भाऊ ने स्पष्ट किया कि उन्हें मराठी भाषा पर गर्व है और वे इसके सम्मान का पूरी तरह समर्थन करते हैं। उन्होंने MNS के इस प्रयास की सराहना की कि मराठी भाषा को स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिर्फ मराठी न बोलने या गलत बोलने पर किसी गरीब या असहाय व्यक्ति को मारना या उस पर हमला करना बिल्कुल गलत है।
- हिंदुत्व की एकजुटता पर जोर: भाऊ ने अपने बयान में बार-बार इस बात पर जोर दिया कि “हिंदुत्व तभी रहेगा जब हम सब एकजुट रहें।” उनका तर्क था कि मराठी और गैर-मराठी के नाम पर हिंदुओं को बांटना गलत है, क्योंकि इससे हिंदू धर्म कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई बाहर से आकर मराठी सीख रहा है, तो उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, न कि धमकाया जाना चाहिए।
- राज ठाकरे से सवाल: उन्होंने सीधे तौर पर राज ठाकरे से सवाल किया कि क्या वे ऐसे हमलों का समर्थन करते हैं। भाऊ ने पूछा कि अगर दूसरे राज्यों में मराठी लोगों के साथ ऐसा व्यवहार हो, तो क्या उन्हें यह स्वीकार्य होगा। उन्होंने राज ठाकरे से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ऐसे हमलों से रोकने की अपील की।
- विवाद का संदर्भ: यह बयान हाल ही में मुंबई में मराठी बनाम हिंदी भाषा को लेकर बढ़े विवाद के बाद आया है। कुछ घटनाओं में MNS कार्यकर्ताओं पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने मराठी न बोलने वाले या हिंदी भाषी लोगों के साथ बदसलूकी की या उन पर हमला किया। इन घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिसके बाद यह विवाद और बढ़ा।
- “भाईचारा” का आह्वान: हिंदुस्तानी भाऊ ने अपने वीडियो में बार-बार भाईचारे और एकता का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सभी का है और यहां सभी को शांति और सम्मान के साथ रहने का अधिकार है। उन्होंने MNS से अपनी “गुंडागर्दी” रोकने और लोगों को प्यार से मराठी सिखाने की अपील कीहिंदुस्तानी भाऊ के इस बयान के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की तरफ से भी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं, हालांकि राज ठाकरे ने सीधे तौर पर कोई बयान नहीं दिया।MNS की प्रतिक्रिया (अप्रत्यक्ष रूप से):
- सोशल मीडिया पर पलटवार: MNS के समर्थक और कुछ नेता सोशल मीडिया पर हिंदुस्तानी भाऊ के खिलाफ सक्रिय हो गए। उन्होंने भाऊ को “फेमस होने के लिए सस्ती पब्लिसिटी” करने वाला बताया और उन पर हिंदुत्व को बांटने का आरोप लगाया।
- मराठी अस्मिता पर जोर: MNS समर्थकों ने दोहराया कि उनका आंदोलन मराठी भाषा और संस्कृति की अस्मिता को बचाने के लिए है, और जो लोग महाराष्ट्र में रहते हुए मराठी भाषा का सम्मान नहीं करते या सीखने की कोशिश नहीं करते, उनके प्रति उनका विरोध जारी रहेगा। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर मराठी लोग महाराष्ट्र में ही अपनी भाषा बोलने से डरेंगे, तो यह उनकी पहचान के लिए खतरा होगा।
- “भूमिपुत्र” का मुद्दा: MNS हमेशा से “भूमिपुत्र” के मुद्दे पर मुखर रही है, जिसका अर्थ है महाराष्ट्र के मूल निवासी। उनका कहना है कि महाराष्ट्र में पहले अधिकार भूमिपुत्रों का है। हिंदुस्तानी भाऊ के बयान को उन्होंने इस अवधारणा के खिलाफ देखा।
- शांत रहने की सलाह: कुछ MNS नेताओं ने अप्रत्यक्ष रूप से हिंदुस्तानी भाऊ को ऐसे मुद्दों पर बोलने से बचने की सलाह दी, जो महाराष्ट्र की “भावनाओं” से जुड़े हैं।
विवाद का आगे बढ़ना:
- सोशल मीडिया पर बहस: हिंदुस्तानी भाऊ के बयान और MNS की प्रतिक्रिया के बाद सोशल मीडिया पर मराठी बनाम गैर-मराठी और हिंदुत्व की एकता पर तीखी बहस छिड़ गई। कई लोगों ने भाऊ का समर्थन किया, जबकि कई ने MNS के रुख को सही ठहराया।
- राजनीतिक दलों की चुप्पी: आमतौर पर, ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक दल अक्सर सीधे टिप्पणी करने से बचते हैं, ताकि किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। इस मामले में भी, मुख्यधारा के अधिकांश बड़े राजनीतिक दलों ने सीधे तौर पर कोई बयान नहीं दिया।
- जनता में ध्रुवीकरण: यह घटना मुंबई और महाराष्ट्र में भाषा और पहचान के आधार पर मौजूदा ध्रुवीकरण को और बढ़ाती है।
यह विवाद एक बार फिर इस बात पर प्रकाश डालता है कि महाराष्ट्र में भाषा और क्षेत्रीय अस्मिता का मुद्दा कितना संवेदनशील है, और कैसे यह कभी-कभी सामाजिक सद्भाव के लिए चुनौती बन जाता है।
हिंदुस्तानी भाऊ का MNS के प्रति पुराना समर्थन: एक बदलाव
यह जानना दिलचस्प है कि हिंदुस्तानी भाऊ, जो अब MNS के कुछ कृत्यों के आलोचक बन गए हैं, अतीत में राज ठाकरे और MNS के समर्थक रहे हैं। उनका यह बदलाव MNS की हालिया “मराठी भाषा के नाम पर हिंसा” वाली कार्यप्रणाली के कारण आया है।
समर्थन के पीछे के कारण:
- मराठी अस्मिता और हिंदुत्व: हिंदुस्तानी भाऊ, खुद को एक कट्टर हिंदुत्ववादी और मराठी मानुष के रूप में प्रस्तुत करते हैं। MNS का मूल आधार भी मराठी अस्मिता और हिंदुत्व है। शुरुआती दिनों में, भाऊ ने MNS को महाराष्ट्र में मराठी भाषा और संस्कृति के संरक्षक के रूप में देखा।
- “मनसे स्टाइल” की प्रशंसा: भाऊ अक्सर MNS के “मनसे स्टाइल” यानी उनके आक्रामक और मुखर तरीके को पसंद करते थे, खासकर जब बात महाराष्ट्र के मुद्दों या हिंदुत्व के बचाव की आती थी। उन्हें लगता था कि MNS ही सही मायने में मराठी लोगों के हकों के लिए लड़ रही है।
- बाल ठाकरे के प्रति सम्मान: राज ठाकरे स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे के भतीजे हैं, जिनकी हिंदुस्तानी भाऊ बहुत प्रशंसा करते हैं। बालासाहेब के प्रति उनके सम्मान के कारण भी, एक समय तक, वे राज ठाकरे और उनकी पार्टी के प्रति नरम रुख रखते थे।
- समान विचारधारा: कई मुद्दों पर, जैसे कि अवैध अप्रवासियों का विरोध, जनसंख्या नियंत्रण, और राष्ट्रवाद, हिंदुस्तानी भाऊ और MNS की विचारधारा काफी हद तक मेल खाती थी।
बदलाव का कारण:
हाल ही में हिंदुस्तानी भाऊ ने स्पष्ट किया है कि उनका विरोध MNS के अंधाधुंध और हिंसक तरीके से मराठी भाषा को थोपने को लेकर है। उनका कहना है कि मराठी भाषा को सम्मान देना और सिखाना अच्छी बात है, लेकिन केवल भाषा के आधार पर लोगों को पीटना या उन्हें परेशान करना स्वीकार्य नहीं है। उनके लिए, हिंदुत्व की एकता अब भाषा के आधार पर विभाजन से ऊपर हो गई है। वह मानते हैं कि अगर मराठी और गैर-मराठी के नाम पर हिंदू आपस में लड़ेंगे, तो यह हिंदुत्व के लिए हानिकारक होगा।
संक्षेप में, हिंदुस्तानी भाऊ का पहले का समर्थन MNS के मराठी और हिंदुत्ववादी एजेंडे से जुड़ा था, लेकिन अब वे MNS की कुछ कार्रवाईयों को उस हिंदुत्व की भावना के खिलाफ मानते हैं जिसकी वे वकालत करते हैं।
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