
केरल में निपाह वायरस का खतरा फिर लौटा: 18 साल की लड़की की मौत, 425 लोग निगरानी में
केरल में निपाह वायरस का खतरा फिर लौटा: 18 साल की लड़की की मौत, 425 लोग निगरानी में
केरल में एक बार फिर निपाह वायरस का खतरा मंडरा रहा है, जिससे राज्य में स्वास्थ्य अलर्ट जारी कर दिया गया है। मलप्पुरम जिले में एक 18 वर्षीय युवती की निपाह संक्रमण से मौत की पुष्टि हुई है, जिसके बाद से हड़कंप मच गया है। इस घटना के मद्देनजर, स्वास्थ्य विभाग ने राज्यभर में, खासकर कोझिकोड, मलप्पुरम और पलक्कड़ जिलों में, कुल 425 से अधिक लोगों को निगरानी में रखा है, जिनमें बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं।
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मलप्पुरम जिले में एक 18 वर्षीय किशोरी की 1 जुलाई 2025 को मौत हो गयी, जिसे निपाह वायरस से संक्रमित पाया गया
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दूसरा मामला 38 वर्षीय महिला का है, जो पलक्कड़ जिले से है और उसका इलाज जारी है
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कुल 425–383 तक लोगों की पहचान हुई है, जिन्हें अब निगरानी में रखा गया है
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मलप्पुरम: ~228
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पलक्कड़: ~110
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कोझिकोड: ~87
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इनमें से कम से कम 12 मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें से 5 ICU में हैं
- ताजा अपडेट और चिंताएं:
- पुष्टि मामले और मृत्यु: मलप्पुरम में 18 वर्षीय युवती की निपाह से मौत की पुष्टि हुई है। यह इस नए प्रकोप का पहला घातक मामला है।
- बढ़ती निगरानी सूची: निगरानी सूची में रखे गए लोगों की संख्या बढ़कर 425 हो गई है। इनमें वे सभी लोग शामिल हैं जो मृतक युवती या किसी संभावित संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए थे। इन लोगों में परिवार के सदस्य, दोस्त और बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं जिन्होंने मरीजों का इलाज किया था।
- संक्रमण का स्रोत: स्वास्थ्य अधिकारी अभी भी संक्रमण के सटीक स्रोत का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। चमगादड़ इस वायरस के प्राकृतिक वाहक माने जाते हैं, और कटे हुए या गिरे हुए फलों के सेवन से संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।
- उच्च जोखिम वाले क्षेत्र: कोझिकोड, मलप्पुरम और पलक्कड़ जिले विशेष निगरानी में हैं क्योंकि यहां पूर्व में भी निपाह के मामले सामने आ चुके हैं और वर्तमान में भी संपर्क में आए लोगों की संख्या अधिक है।
- तत्काल कार्रवाई: स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रैपिड रिस्पांस टीमों को सक्रिय कर दिया है। संदिग्ध मामलों की पहचान, आइसोलेशन और इलाज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
निपाह वायरस के लक्षण और बचाव के उपाय:
लक्षण:
- तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द और अत्यधिक कमजोरी
- सांस लेने में तकलीफ, खांसी और गले में खराश
- पेट दर्द, उल्टी और दस्त
- चक्कर आना, भ्रम और भटकाव
- गंभीर मामलों में मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस), दौरे और कोमा।
बचाव के उपाय:
- हाथों की स्वच्छता: नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर का उपयोग करें।
- फल और भोजन: पेड़ से गिरे हुए, आधे खाए हुए या क्षतिग्रस्त फलों का सेवन बिल्कुल न करें। फलों को खाने से पहले अच्छी तरह धोएं और छीलकर खाएं।
- दूषित पेय से बचें: खुले में रखे हुए ताड़ी या अन्य पेय पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि चमगादड़ उन्हें दूषित कर सकते हैं।
- पशु संपर्क: संक्रमित चमगादड़ों या सूअरों के सीधे संपर्क से बचें।
- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण: यदि किसी संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, तो उचित मास्क, दस्ताने और अन्य व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) का उपयोग करें।
- सामाजिक दूरी: यदि किसी में निपाह के लक्षण दिखें, तो उनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
- तत्काल चिकित्सा: यदि आपको निपाह के कोई भी लक्षण महसूस हों, तो बिना देर किए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी यात्रा का विवरण भी दें।
- अफवाहों से बचें: केवल आधिकारिक स्रोतों से मिली जानकारी पर ही भरोसा करें और गलत सूचना या अफवाहें फैलाने से बचें।
केरल का स्वास्थ्य विभाग लगातार स्थिति की निगरानी कर रहा है और लोगों से सहयोग की अपील कर रहा है ताकि इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सके। जागरूकता और एहतियाती कदम ही इस वायरस से बचाव का एकमात्र तरीका हैं।
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सावधानी और दिशानिर्देश
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वीणा जॉर्ज (स्वास्थ्य मंत्री):
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N95 मास्क पहनें, समूह में न आएं, क्वारंटीन मानकों का कड़ाई से पालन करें, हाथ साफ रखें, और बुखार, खांसी या साँस संबंधी लक्षण होने पर तुरंत रिपोर्ट करें
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आम लोगों से भीड़भाड़ से बचने और अनावश्यक यात्रा से परहेज करने की अपील की गई है
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