
कैसे भड़की जंग?
2024 के अंत में गाज़ा में हुए इजरायली हवाई हमलों में ईरान समर्थित हिजबुल्ला के कई शीर्ष कमांडर मारे गए। इसके जवाब में अप्रैल 2025 में ईरान ने पहली बार इजरायल पर सीधे मिसाइल और ड्रोन हमले किए — एक अभूतपूर्व कदम जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया।
इजरायल ने भी जवाबी हमलों में तेहरान के पास कई सैन्य और रडार ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन दोनों ही देशों ने बड़ी जंग से खुद को पीछे खींचा।
क्या हुआ मैदान में?
ईरान का आक्रमण:
- ईरान ने 13 अप्रैल की रात इजरायल पर 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलें दागीं।
- हमला “शहीद सुलैमानियों के बदले” के तौर पर पेश किया गया।
- ईरानी मीडिया ने दावा किया कि कई इजरायली ठिकाने ध्वस्त हुए।
इजरायल का जवाब:
- इजरायली एयर डिफेंस ने लगभग 95% मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया।
- जवाब में इजरायल ने ईरान के कुछ सामरिक ठिकानों पर हमला किया, लेकिन बिना व्यापक युद्ध में उलझे।
सीजफायर क्यों हुआ?
1. अमेरिका की गुप्त मध्यस्थता:
व्हाइट हाउस के बैकचैनल्स ने दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में भूमिका निभाई। अमेरिका नहीं चाहता था कि मिडिल ईस्ट पूरी तरह युद्ध में घिर जाए — विशेषकर 2024 के चुनावी साल में।
2. तेल बाजार की चिंता:
ईरान की धमकी के बाद हॉर्मुज़ स्ट्रेट से तेल की आपूर्ति पर संकट आ गया। वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतें $100 प्रति बैरल के पार चली गईं। इससे यूरोप और एशिया दोनों पर दबाव बढ़ा।
3. दोनों देशों की घरेलू मजबूरियाँ:
- इजरायल में जनता थक चुकी है — नेतन्याहू सरकार पर दबाव है कि स्थायित्व लाया जाए।
- ईरान की अर्थव्यवस्था अमेरिका की पाबंदियों से जूझ रही है — लंबी जंग उसके लिए आत्मघाती हो सकती थी।
क्या ये युद्ध था या सिर्फ ‘मैसेज भेजना’?
विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों ने एक-दूसरे को ताक़त का अहसास कराया, लेकिन पूरे युद्ध से बचा गया। इसे “Symbolic Confrontation” कहा जा रहा है — यानी दिखाने के लिए हमला, पर हकीकत में सीमित कार्रवाई।
ईरान ने आक्रामकता दिखाई, लेकिन बड़े नुकसान से बचा।
इजरायल ने आत्मरक्षा में मिसाइल रोकीं, पर पलटवार सीमित रखा।
राजनीति और रणनीति के बीच जंग:
डोनाल्ड ट्रंप का छाया रोल?
- कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरब सहयोगी देशों के जरिए ट्रंप समर्थक लॉबी ने तनाव कम करवाने की कोशिश की।
- ट्रंप की दोबारा वापसी की रणनीति में मिडल ईस्ट स्थिरता अहम है।
इजरायल के भीतर राजनीतिक संकट:
- सुप्रीम कोर्ट में नेतन्याहू के खिलाफ केस चल रहा है।
- जनता में ‘वॉर फैटिग’ यानी युद्ध से ऊब — इसके चलते सरकार पर सीजफायर का दबाव बना।
निष्कर्ष: कौन जीता, कौन हारा?
पहलू | ईरान | इजरायल |
---|---|---|
मिसाइल/ड्रोन हमला | पहली बार सीधा हमला | लगभग सभी इंटरसेप्ट किए |
सामरिक जीत | प्रतीकात्मक, घरेलू नैरेटिव मजबूत | तकनीकी रूप से युद्ध से बचाव |
राजनीतिक लाभ | शासन की शक्ति दिखाई | जनता के दबाव में नियंत्रण बरता |
वैश्विक छवि | आक्रामक लेकिन सीमित | संयमित लेकिन सतर्क |
आगे क्या?
हालांकि सीजफायर हो गया है, लेकिन मिडिल ईस्ट की फिजा में अब भी बारूद की गंध है। हिजबुल्ला, हूथी और अन्य प्रॉक्सी ग्रुप फिर से सक्रिय हो सकते हैं।
क्या अगली बार ये ‘सीमित जंग’ पूरी लड़ाई में बदल जाएगी? — यह आने वाला समय बताएगा।