
ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम (परमाणु हथियार बनाना)
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ईरान कई सालों से यूरेनियम संवर्धन (enrichment) कर रहा है, जिससे परमाणु बम बन सकता है।
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इज़राइल को डर है कि अगर ईरान परमाणु बम बना लेता है तो वो इज़राइल पर हमला कर सकता है या उसके अस्तित्व को खतरा होगा।
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इसी डर से इज़राइल ने ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमला शुरू किया (जून 2025 से)।
2. 🪖 प्रॉक्सी मिलिटेंट्स को समर्थन
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ईरान हिज़बुल्लाह (लेबनान) और हमास (ग़ाज़ा) जैसे आतंकवादी संगठनों को फंडिंग और हथियार देता है।
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ये संगठन लगातार इज़राइल पर रॉकेट और हमले करते रहते हैं।
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इज़राइल इसे ईरान की छुपी हुई जंग मानता है।
3. 💣 1979 के बाद से दुश्मनी
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1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद से उसने इज़राइल को “शैतान” और “अवैध देश” घोषित किया।
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तब से दोनों देशों के बीच कोई राजनीतिक या राजनयिक संबंध नहीं हैं।
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ईरान की नीति में इज़राइल का विरोध हमेशा रहा है।
4. 🇺🇸 अमेरिका का पक्ष लेना
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अमेरिका इज़राइल का करीबी सहयोगी है।
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जब ईरान न्यूक्लियर हथियारों के पास पहुंचने लगा, अमेरिका ने भी इज़राइल के साथ मिलकर हमले शुरू किए (B‑2 बॉम्बर, मिसाइलें)।
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इससे संघर्ष और बड़ा हो गया।
5. 🌍 क्षेत्रीय शक्ति की होड़
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ईरान चाहता है कि वह मध्य-पूर्व (Middle East) का सबसे ताक़तवर देश बने।
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इज़राइल पहले से ही तकनीक, सेना और खुफिया मामलों में काफी मजबूत है।
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ये दोनों एक-दूसरे को रोकना चाहते हैं। संक्षेप में:
कारण | विस्तार |
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परमाणु खतरा | इज़राइल को डर है कि ईरान न्यूक्लियर बम बना लेगा। |
आतंकी समूहों को समर्थन | ईरान, इज़राइल-विरोधी संगठनों को मदद देता है। |
धार्मिक-राजनीतिक दुश्मनी | 40+ साल पुरानी कट्टर वैचारिक दुश्मनी है। |
अमेरिकी हस्तक्षेप | अमेरिका, इज़राइल का साथ दे रहा है। |
मध्य-पूर्व में दबदबा | दोनों देश क्षेत्रीय प्रभुत्व चाहते हैं। |