वाई जहाज दुर्घटनाओं में ब्लैक बॉक्स (Black Box) सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है। ये वास्तव में काले नहीं होते, बल्कि गहरे नारंगी या चमकीले पीले रंग के होते हैं ताकि मलबे में आसानी से मिल सकें। इन्हें “ब्लैक बॉक्स” इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे एक रहस्यमयी तरीके से उड़ान के बारे में सारी जानकारी रिकॉर्ड करते हैं।
ब्लैक बॉक्स क्या होता है?
एक हवाई जहाज में मुख्य रूप से दो “ब्लैक बॉक्स” होते हैं:
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फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (Flight Data Recorder – FDR):
- यह विमान के तकनीकी डेटा को रिकॉर्ड करता है। इसमें विमान की गति (airspeed), ऊंचाई (altitude), दिशा (heading), इंजन का प्रदर्शन (engine performance), नियंत्रण सतहों की स्थिति (control surface positions), ईंधन स्तर (fuel level), त्वरण (acceleration) और सैकड़ों अन्य पैरामीटर शामिल होते हैं।
- यह आमतौर पर पिछली 25 घंटों की उड़ान का डेटा रिकॉर्ड करता है।
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कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (Cockpit Voice Recorder – CVR):
- यह कॉकपिट के भीतर की सभी आवाज़ों को रिकॉर्ड करता है। इसमें पायलटों की आपस की बातचीत, एयर ट्रैफिक कंट्रोल से होने वाला संवाद, अलार्म और चेतावनी की आवाज़ें, इंजन और अन्य यांत्रिक आवाज़ें शामिल होती हैं।
- यह आमतौर पर पिछली 2 घंटों की रिकॉर्डिंग रखता है।
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दुर्घटना के समय ब्लैक बॉक्स की भूमिका
जब कोई हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो ब्लैक बॉक्स की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है:
- दुर्घटना का कारण पता लगाना: ये रिकॉर्डर दुर्घटना के अंतिम क्षणों का एक विस्तृत और निष्पक्ष विवरण प्रदान करते हैं। CVR से पता चलता है कि पायलटों के बीच क्या बातचीत हुई, उन्होंने क्या चेतावनी सुनी, और उन्होंने क्या प्रतिक्रिया दी। FDR से विमान के सिस्टम की स्थिति और प्रदर्शन के बारे में तकनीकी डेटा मिलता है।
- पुनर्निर्माण (Reconstruction): जांचकर्ता इन दोनों रिकॉर्डर से मिले डेटा का उपयोग करके दुर्घटना से पहले के पलों को फिर से बनाते हैं। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि क्या यांत्रिक खराबी थी, मानवीय त्रुटि थी, या कोई बाहरी कारक जिम्मेदार था।
- भविष्य की दुर्घटनाओं को रोकना: ब्लैक बॉक्स से मिली जानकारी से विमानन सुरक्षा में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं। इससे नए सुरक्षा प्रोटोकॉल, प्रशिक्षण विधियों और विमान डिजाइन में बदलाव किए जाते हैं ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
ब्लैक बॉक्स की खासियतें
इन उपकरणों को बेहद मजबूत बनाया जाता है ताकि वे भीषण दुर्घटनाओं में भी सुरक्षित रहें:
- अत्यधिक मजबूत: इन्हें स्टेनलेस स्टील या टाइटेनियम जैसी मजबूत धातुओं से बनाया जाता है ताकि वे उच्च गति के प्रभाव, आग, अत्यधिक गर्मी (1100°C तक एक घंटे तक), और गहरे पानी के दबाव (20,000 फीट तक) को झेल सकें।
- लोकेशन: ये आमतौर पर विमान के पिछले हिस्से (tail section) में रखे जाते हैं, क्योंकि यह हिस्सा अक्सर दुर्घटना में कम से कम क्षतिग्रस्त होता है।
- अंडरवॉटर लोकेटर बीकन (ULB): यदि विमान पानी में गिरता है, तो ब्लैक बॉक्स में एक बीकन सक्रिय हो जाता है जो 30 दिनों तक पानी के नीचे से सिग्नल भेजता रहता है, जिससे जांचकर्ताओं को उसे ढूंढने में मदद मिलती है।
संक्षेप में, ब्लैक बॉक्स हवाई जहाज दुर्घटनाओं की जांच में रीढ़ की हड्डी होते हैं। ये अदृश्य साक्ष्य प्रदान करते हैं जो मानवीय गवाहों या मलबे के विश्लेषण से नहीं मिल सकते, और इस प्रकार विमानन सुरक्षा को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। www.modernpatrakaar.com