📅 अपडेट: जून 2025 | ✍️ Modern Patrakaar | 📍 भारत
🔹 क्या है मामला?
हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ न्यूज़ पोर्टल्स पर ऐसी खबरें सामने आईं कि UPI ट्रांजैक्शनों पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लागू किया जा सकता है। इससे व्यापारियों और डिजिटल पेमेंट यूज़र्स में चिंता फैल गई।
इस पर भारत सरकार ने स्पष्ट जवाब दिया है:
“यूपीआई लेनदेन पर कोई MDR नहीं लगेगा। यह अफवाहें पूरी तरह से गलत हैं।” – वित्त मंत्रालय
🔹 MDR क्या होता है?
Merchant Discount Rate (MDR) वह फ़ीस होती है जो बैंक या पेमेंट गेटवे व्यापारी से हर डिजिटल पेमेंट पर वसूलते हैं। यह फ़ीस क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और अन्य पेमेंट गेटवे पर लगती है। लेकिन…
✅ UPI लेनदेन पर यह शुल्क शुरू से ही शून्य (₹0) रखा गया है।
🔹 सरकार की मंशा क्या है?
सरकार का लक्ष्य है कि:
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डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया जाए
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छोटे व्यापारियों पर कोई आर्थिक बोझ न पड़े
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ग्राहकों और व्यापारियों, दोनों को लाभ मिले
वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा कि ऐसे अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
🔹 Paytm, Mobikwik जैसी कंपनियों पर असर
सरकारी बयान के बाद Paytm और Mobikwik जैसी फिनटेक कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई क्योंकि निवेशकों को उम्मीद थी कि अगर MDR लागू होता तो कंपनियों की कमाई बढ़ सकती थी।
📉 Paytm का शेयर 10% तक गिरा
📉 Mobikwik के शेयर में भी भारी गिरावट
🔹 Payments Council of India का क्या कहना है?
PCI का मानना है कि:
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UPI की संरचना को बनाए रखने में सालाना ₹10,000 करोड़ का खर्च आता है
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जबकि सरकार की सब्सिडी सिर्फ ₹1,500 करोड़ है
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इसलिए बड़ी ट्रांज़ैक्शनों पर 0.3% MDR लगाने का सुझाव दिया गया था
लेकिन सरकार ने इसे अभी नकार दिया है।
🔹 ग्राहकों और व्यापारियों को राहत
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अब ग्राहक बेझिझक UPI का इस्तेमाल जारी रख सकते हैं
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व्यापारी भी निश्चिंत होकर QR कोड पेमेंट ले सकते हैं
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कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा