
वॉशिंगटन/तेहरान – पश्चिम एशिया में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ताजा खबरों के मुताबिक, अमेरिका ने ईरान पर सैन्य हमले का प्लान आधिकारिक रूप से मंज़ूर कर लिया है। यह फैसला एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक के बाद लिया गया, जिसमें राष्ट्रपति और पेंटागन के शीर्ष अधिकारी शामिल थे।
क्यों लिया गया यह फैसला?
इज़रायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष में अमेरिका पहले से ही कूटनीतिक और सैन्य समर्थन दे रहा था। लेकिन हाल ही में ईरान द्वारा अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाए जाने की कोशिशों और क्षेत्रीय गुटों के हमलों के बाद अमेरिका ने सक्रिय रुख अपनाने का फैसला किया।
अमेरिकी रक्षा विभाग का बयान:
“हमारे राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा सर्वोपरि है। हम ईरान के उकसावे को नजरअंदाज नहीं करेंगे।”
हमले की रणनीति क्या हो सकती है?
रिपोर्ट्स के अनुसार:
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फारस की खाड़ी में युद्धपोतों की संख्या बढ़ा दी गई है।
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यूएस एयरफोर्स को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
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साइबर अटैक से लेकर टारगेटेड स्ट्राइक तक की रणनीति पर चर्चा हुई है।
ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान ने इस योजना को “युद्ध की औपचारिक शुरुआत” करार दिया है। ईरानी राष्ट्रपति और खामनेई दोनों ने दो टूक कहा है कि अगर अमेरिका ने हमला किया, तो जवाब तेहरान से लेकर तेल अवीव तक गूंजेगा।
वैश्विक स्तर पर हलचल
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रूस और चीन ने अमेरिका को संयम बरतने की सलाह दी है।
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संयुक्त राष्ट्र ने विशेष आपात बैठक बुलाई है।
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तेल की कीमतों में भारी उछाल देखा गया है।
निष्कर्ष:
अमेरिका का यह फैसला मिडिल ईस्ट को युद्ध की आग में झोंक सकता है। अगर हमला होता है, तो यह संघर्ष केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।